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कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर के उद्धरण

मनुष्य में देवता भी रहता है और दानव भी। देवता की प्राण-प्रतिष्ठा और दानव का दलन करने के लिए संघर्ष करना ही मानव-जीवन है।