ज्याँ-पाॅल सार्त्र के उद्धरण

मनुष्य कुछ भी नहीं हो सकता जब तक वह यह नहीं समझता कि उसे केवल खुद पर निर्भर रहना चाहिए; कि वह अकेला है, इस पृथ्वी पर अपने अनंत उत्तरदायित्वों के बीच अकेला, बिना किसी मदद के, केवल वही उद्देश्य जो वह खुद तय करता है और केवल वही भाग्य जो वह खुद इस पृथ्वी पर बनाता है।
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