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अल्बैर कामू के उद्धरण

मनुष्य हमेशा अपनी सच्चाइयों का शिकार होता है। एक बार जब वह उन्हें स्वीकार कर लेता है, तो वह उनसे ख़ुद को मुक्त नहीं कर पाता।

अनुवाद : गार्गी मिश्र

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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