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रूमी के उद्धरण

मैं वह तीर खाने वाला हूँ कि बेतीर लगे मेरे शरीर को चैन नहीं मिलता। मैं तो प्रेमी हूँ और ज़ख़्म खा-खाकर अकड़ा करता हूँ।