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गुरु नानक के उद्धरण

मैं उन सज्जनों-मित्रों पर बलिहारी जाता हूँ, जिस पर माया का पर्दा नहीं पड़ा, जिनकी संगति करके मैंने अपना मन उनसे जोड़ लिया है।