केदारनाथ सिंह के उद्धरण

मैं शब्द के अस्तित्व को लेकर चिंतित नहीं हूँ क्योंकि उसकी उच्चरित शक्ति में मुझे विश्वास है, पर यह ख़तरा ज़रूर देखता हूँ कि लिखित शब्द की पहुँच का दायरा कम हुआ है, यानी साहित्य का पाठक वर्ग सिकुड़ा है।
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