मैं हमेशा से उन जगहों पर जाना चाहता था जहाँ नागार्जुन जैसे दार्शनिक रहे हैं। जहाँ कई ज्योतिष के आचार्य और धर्म के प्रथम चिंतक रहे हैं। ये सबकुछ जानने के लिए कि मैं वहाँ हूँ, जहाँ ये सारे लोग रह चुके हैं—सिर्फ़ ये जानने के लिए कि मैं वहाँ हूँ,जहाँ बुद्ध रह चुके हैं।
अनुवाद :
राकेश कुमार मिश्र