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राधावल्लभ त्रिपाठी के उद्धरण

महाभारतकार की प्रतिभा में कोमलता और राग की अपेक्षा बलशालिता और गत्यात्मकता अधिक है, वाल्मीकि की प्रतिभा में दोनों ही प्रकार के तत्वों का अनुपम सामंजस्य है।