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जे. एम. कोएट्ज़ी के उद्धरण

क्या संभोग से ही हर चीज़ को तौला जाता है? अगर वह संभोग में असफल हो गया तो क्या यह उसके संपूर्ण जीवन की असफलता होगी? अगर यह सच नहीं होता तो जीवन आसान होता। लेकिन जब वह अपने आस-पास देखता है तो उसे ऐसा कोई भी नहीं दिखाई देता जो संभोग नाम के ईश्वर के आगे नतमस्तक न हो, सिवाय लुप्त डायनासोरों और विक्टोरियन युग के ध्वंसावशेषों को छोड़कर, यहाँ तक कि हेनरी जेम्स जो विक्टोरियन युग के लेखक हैं, ने बहुत चालाकी से कई पन्ने भरकर यह इशारा किया है कि अंततः संभोग ही सब कुछ है।