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रघुवीर चौधरी के उद्धरण

कुछ संकल्प आवेग के आविष्कार होते हैं, समझ का परिणाम नहीं। ये टूट जाते है और संकल्प को तोड़ना रीढ़ की हड्डी को कमज़ोर करना है।

अनुवाद : भाग्यश्री वाघेला