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अरुंधती रॉय के उद्धरण

कुछ चीज़ें ऐसी होती हैं जो भुलाई जा सकती हैं। और कुछ चीज़ें ऐसी होती हैं जो भुलाई नहीं जा सकतीं—जो गर्द से अटे ख़ानों में द्वेष-भरी आँखों से अगल-बग़ल घूरने वाले भूस -भरे पक्षियों की तरह बैठी रहती हैं।

अनुवाद : नीलाभ अश्क