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वेदव्यास के उद्धरण

किसी के घर का अन्न या तो प्रेम के कारण खाया जाता है या आपत्ति में पड़ने पर। राजन्! तुम प्रेम नहीं रखते और हम किसी आपत्ति में नहीं पड़े हैं।