किसी गुंडे पर मुक़दमा चल रहा हो तो ग्रामीण भाइयों की यह स्वभाविक इच्छा होती है कि वे शहर घूम आएँ और कचहरी देख लें। गुंडे को अपमानित होते देखकर उन्हें हार्दिक सुख मिलता है और गुंडे को भी—देखो! गाँव के कितने आदमी मेरी मदद के लिए आए हैं—ऐसा समझकर हार्दिक सुख मिलता है।