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शंकर शैलेंद्र के उद्धरण

ख़ेद है कि न तो मेरे पास आशा है, न स्वास्थ्य, न आंतरिक शांति, न बाह्य शांति और न ही सब धनों से श्रेष्ठ संतोष, जो कि संत ध्यान में पा लेता है और आंतरिक गौरव का मुकुट धारे भ्रमण करता है।

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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