Font by Mehr Nastaliq Web

रवींद्रनाथ टैगोर के उद्धरण

कविता-कहानी-नाटक के बाज़ार में जिन्हें समझदारों का राजपथ नहीं मिलता; वे आख़िर देहात में खेत की पगडंडियों पर चलते हैं, जहाँ किसी तरह का महसूल नहीं लगता।

अनुवाद : विश्वनाथ नरवणे