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केदारनाथ सिंह के उद्धरण

कविता अपनी प्रकृति से ही हर स्थिति का सामना करती है। वह उसे तोड़ती-फोड़ती है, जिससे नई संभावनाएँ जन्म लेती हैं। यह उसके वजूद की निशानी है।