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मंगलेश डबराल के उद्धरण

कविता अपने समय के संकटों को पूरी सचाई से कभी व्यक्त नहीं कर पाती, इसलिए उसमें हमेशा ही संकट बना रहता है।

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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