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जे. कृष्णमूर्ति के उद्धरण

करुणा का अर्थ है प्रत्येक व्यक्ति के प्रति आवेग और आवेश से भरा होना, प्रत्येक चीज़ की फ़िक्र और उसका ख़्याल रखना—उन जानवरों का भी जिनको आप मार कर खा जाते हैं।