जो व्यक्ति छोटा है वह विश्व-संसार को असंख्य बाधाओं का राज्य समझता है। बाधाएँ उसकी दृष्टि को अवरुद्ध करती हैं और उसकी आशाओं पर आघात करती हैं, इसीलिए वह सत्य को नहीं जानता, बाधाओं को ही सत्य के रूप में देखता है। लेकिन जो व्यक्ति महान् है, वह बाधाओं से मुक्त होकर सत्य को देख सकता है। तभी महान् लोगों की बातें छोटे व्यक्तियों की बातों के बिल्कुल विपरीत होती हैं।