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वाल्मीकि के उद्धरण

जो स्वजन अपनी दृष्टि के सामने होते हैं, उन पर प्रीति बनी रहती है। जो आँख से ओझल होते हैं, उन पर लोगों का स्नेह नहीं रहता है।

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