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श्रीलाल शुक्ल के उद्धरण

जो कलकत्ता में अपने को बाराबंकवी कहते हुए हिचकता है, वह यक़ीनन विलायत में अपने को हिंदुस्तानी कहते हुए हिचकेगा।