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अश्वघोष के उद्धरण

जो घर से निकल गया है किंतु जिसका काम-राग नहीं निकला है, जो काषाय वस्त्र पहनता है किंतु जिसका कषाय नष्ट नहीं हुआ है, जो भिक्षा पात्र धारण करता है किंतु जो सद्गुणों का पात्र नहीं हुआ है, वह भिक्षु-वेष धारण करता हुआ भी न गृहस्थ है, न भिक्षु।

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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