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रवींद्रनाथ टैगोर के उद्धरण

जो चीज़ दूर से दिखानी है, उसे कुछ बड़ा करके दिखाना ज़रूरी होता है। सत्य की रक्षा के लिए ही उसे उतना बड़ा करना होता है, नहीं तो वह चीज़ जितनी छोटी दिखाई पड़ती है, उतनी ही मिथ्या दिखाई पड़ती है। बड़ा करके ही उसे सत्य करना पड़ता है।

अनुवाद : अमृत राय