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गणेश देवी के उद्धरण

जीवनानुभव और औपचारिक ज्ञान के बीच का विभाजन, भक्ति साहित्य के लिए प्रासंगिक आलोचनात्मक विमर्श के न जन्म लेने का मूल कारण है।

अनुवाद : अवधेश त्रिपाठी