विनोबा भावे के उद्धरण

जीवन का यह अंतिम सार मधुर निकले, अंत की यह घड़ी मधुर हो, इसी दृष्टि से मारे जीवन के उद्योग होने चाहिए। जिसका अंत मधुर, उसका सब मधुर।
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