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प्रेमचंद के उद्धरण

जिस मृत्यु पर घर वाले रोएँ वह भी कोई मृत्यु है! वह तो एड़ियाँ रगड़ना है। वीर मृत्यु वही है, जिस पर बेगाने रोएँ, और घर वाले आनंद मनाएँ।