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रवींद्रनाथ टैगोर के उद्धरण

जिस भाषा का पूरा ज्ञान न हो, उसके शब्द बड़े क्रूर एवं अवरोधक हो जाते हैं। वे केवल रुकावट डालते हैं और कहते कुछ नहीं।

अनुवाद : सत्यकाम विद्यालंकार