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राधावल्लभ त्रिपाठी के उद्धरण

जिस अहल्या को पति और पुरुष समाज ने लांछित करके त्याग दिया था, राम उसे माता कहकर संबोधित करते हैं और सादर प्रणाम करते हैं।