हजारीप्रसाद द्विवेदी के उद्धरण

जिन विषयों के गंभीर अध्ययन से मनुष्य का मस्तिष्क परिष्कृत और ह्रदय सुसंस्कृत होता है, उसमें श्रम लगता है और उसके लिए बाज़ार आसानी से नहीं मिलता।
-
संबंधित विषय : ज्ञान