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रवींद्रनाथ टैगोर के उद्धरण

जिन सब महापुरुषों की वाणी आज तक पृथ्वी पर अमर है, उन्होंने कभी दूसरों के मन को ख़ुश करते हुए अपनी बात कहना नहीं चाहा।

अनुवाद : विश्वनाथ नरवणे