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लक्ष्मीनारायण मिश्र के उद्धरण

जाति पुरुष की होती है... कन्या की देह पर जाति का अवलेप नहीं चढ़ता। भाग्य जिस पुरुष के साथ जा लगे... उसकी जाति उस पुरुष की हो जाती है।