महात्मा गांधी के उद्धरण

जब मैं गहनों से लदे हुए उन अमीर-उमरावों को भारत के लाखों ग़रीब आदमियों से मिलाता हूँ तो मुझे लगता है कि मैं इन अमीरों से कहूँ", "जब तक आप अपने आप ये ज़ेवरात नहीं उतार देते और उन्हें ग़रीबों की धरोहर मान कर नहीं चलते तब तक भारत का कल्याण नहीं होता।"
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