Font by Mehr Nastaliq Web

रवींद्रनाथ टैगोर के उद्धरण

जब भाषा से हमारी पहचान हो जाती है, तब शब्द हमारे लिए बाधक नहीं रह जाते हैं।

अनुवाद : रामशंकर द्विवेदी