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अरुंधती रॉय के उद्धरण

इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता था कि कहानी शुरू हो चुकी थी, क्योंकि कथकली ने बहुत पहले यह ख़ोज कर ली थी कि महान गाथाओं का रहस्य यह होता है कि उनमें कोई रहस्य नहीं होता। महान गाथाएँ वे होती हैं जिन्हें तुमने सुन रखा होता है और जिन्हें तुम फिर से सुनना चाहते हो। जिनमें तुम कहीं से भी प्रवेश कर सकते हो और आराम से रह सकते हो। वे तुम्हें सनसनी और रोमांच और चतुराई-भरे अंत से धोखा नहीं देतीं। वे तुम्हें अप्रत्याशित चीज़ों से चकित नहीं करतीं। वे उतनी ही चिर-परिचित होती हैं जितना वह घर जिसमें तुम रहते हो। या जितनी तुम्हारे प्रेमी की त्वचा। तुम जानते हो उनका अंत क्या है, फिर भी तुम यों सुनते हो जैसे तुम्हें पता न हो। उसी तरह जैसे हालाँकि तुम जानते हो कि एक दिन तुम मर जाओगे, तुम यों जीते हो जैसे तुम कभी मरोगे नहीं। महान गाथाओं में तुम जानते हो कि कौन जीवित रहता है, कौन मरता है, किसे प्रेम मिलता है, किसे नहीं। और इसके बावजूद तुम फिर से जानना चाहते हो।

अनुवाद : नीलाभ अश्क