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वासुदेवशरण अग्रवाल के उद्धरण

इन स्थूल ग्रंथों की सफलता यही है कि ये जीवन में चरितार्थ हों। लिखित अक्षरों के पीछे जो वास्तविक अक्षर तत्त्व है, जिसका कभी नाश नहीं होता, उस तक पहुँचने का आवाहन इन ग्रंथों से प्रत्येक मानव को मिलता है।