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रूमी के उद्धरण

हम शून्य से घूमते हुए, धूल की तरह तारे बिखेरते हुए आते हैं और तुम? तुम अपने भीतर की उस लंबी यात्रा की शुरुआत कब करोगे?

अनुवाद : सरिता शर्मा