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वेदव्यास के उद्धरण

हे निष्पाप अर्जुन! उन तीनों गुणों में सत्त्वगुण तो निर्मल होने के कारण प्रकाश करने वाला और विकार-रहित है, वह मुख के संबंध से और ज्ञान के संबंध से बाँधता है।