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वेदव्यास के उद्धरण

हे कुरुश्रेष्ठ अर्जुन! यज्ञ न करने वाले मनुष्य के लिए तो यह लोक भी (सुखदायक) नहीं है, फिर उसे परलोक कहाँ मिल सकता है?