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वेदव्यास के उद्धरण

हे अग्निदेव! धूम आपका ध्वज है। आप शिखा (ज्वाला) को धारण करने वाले हैं। वायु से आपका उद्भव हुआ है। आप सब पापों के नाशक हैं। आप सब प्राणियों में नित्य स्थित हैं। अपने सत्य के प्रभाव से मुझे पवित्र कीजिए।