बंकिम चंद्र चटर्जी के उद्धरण

हाँ, पापी को भी प्रेम करना होगा। प्रेम के लिए पात्र-अपात्र का भेद नहीं है। सभी को प्यार करो। प्रेम उत्पन्न होने पर उसे यत्न से स्थान दो, क्योंकि प्रेम अमूल्य है।
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