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महात्मा गांधी के उद्धरण

हमारे लिए अस्तेयादि व्रतों की ओर क़दम उठाने में ज़रूरी क़दम यह है कि अपनी आवश्यकताओं को, और निजी परिग्रह को जितना बने उतना घटाते जाना और उत्पादक-श्रम के लिए तथा अनर्थकारी पदार्थों की योग्य व्यवस्था के लिए, निष्काम भाव से और यज्ञ बुद्धि से नियम-पूर्वक अपने निजी श्रम के रूप में हाथ बँटाना।