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यू. आर. अनंतमूर्ति के उद्धरण

गांधी जी जानते थे कि जो कुछ हम देखना चाहते हैं; उसे उसकी अतिरेक अवस्था में देखने की क्षमता यदि हममें हो, तो सत्य का द्वार खुल जाता है।

अनुवाद : भालचंद्र जयशेट्टी