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कृष्ण कुमार के उद्धरण

एक बार मैंने मेघा पाटकर से पूछा था कि वे थकती क्यों नहीं हैं? पत्र में उन्होंने लिखा था कि 'लड़ते-लड़ते अपनी ही छाया में गिर जाना' थककर बैठ जाने से बेहतर है। बैठ जाने से उनका आशय ज़रूर आंदोलन का रास्ता छोड़ देने से रहा होगा।