ए.एल. बाशम के अनुसार, प्राचीन भारत में अराजकता और अस्थिरता का सबसे बड़ा कारण यह था कि हर राजा के दिमाग़ में यह कीड़ा घुसा हुआ था कि पड़ोसी पर हमला करना मेरा धर्म है। सबके सब चक्रवर्ती सम्राट् बनकर राजसूय यज्ञ करना चाहते थे। बनते बहुत कम थे, लेकिन लड़ते सब रहते थे। दो गज ज़मीन पर क़ब्ज़ा करते और चारणों से कहलवा लेते कि सारी पृथ्वी आपके भय से काँपती है। भारतीय समाज ने समन्वय, सहिष्णुता और क्रमशः विलय का अद्भुत पाचन-यंत्र विकसित कर लिया था, लेकिन राजाओं के बीच सहअस्तित्व का कोई शास्त्र, प्राचीन भारत ने विकसित नहीं किया। गीता के अर्जुन के बावजूद परंपरा निरंतर युद्धों की थी। अहिंसक और शाकाहारी भारत ने अपने समाज में गृहयुद्धों को वर्जित करने की कोई युक्ति नहीं सोची।