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कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर के उद्धरण

दे देवत्व, ले राक्षसत्व और दे-ले मनुष्यत्व। जहाँ बैठकर हम जीवन की इस दे-ले का समन्वय करना सीखते हैं, उसी प्रयोगशाला का नाम घर है।