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रवींद्रनाथ टैगोर के उद्धरण

दासता का सबसे बुरा रूप ग्लानि की दासता है, क्योंकि तब लोग अपने में विश्वास खोकर निराशा की ज़ंजीरों में जकड़ जाते हैं।

अनुवाद : साैमित्र मोहन