मृदुला गर्ग के उद्धरण

चेहरे पर बेशुमार झुर्रियाँ हो, देह कमजोरी से लाचार हो तो मन का दर्द कम होने लगता है। इसलिए नहीं कि मन बूढ़ा हो जाता है....शायद इसलिए कि झुर्रीदार बदन बीते हुए दिनों में जीकर सन्तुष्ट हो जाते हैं। वर्तमान से लगाव नहीं रखते। आँखें मूँद लेते हैं और और आज को दूर खदेड़ देते हैं।
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