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जयशंकर प्रसाद के उद्धरण

ब्राह्मणत्व एक सार्वभौम शाश्वत बुद्धिवैभव है। वह अपनी रक्षा के लिए, पुष्टि के लिए, और सेवा के लिए इतर वर्णों का संघटन कर लेगा।