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बाणभट्ट के उद्धरण

भास को अपने नाटकों से, जो देवकुलों (मंदिरों) के समान ही सूत्रधार-कृत-आरंभ हैं, विशाल भूमिका वाले हैं तथा पताका युक्त हैं, यश प्राप्त हुआ।