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राधावल्लभ त्रिपाठी के उद्धरण

भारतीय काव्यचिंतन में रस तथा ध्वनि की परिकल्पनाएँ, वाल्मीकि जैसे कृती रचनाकार के काव्य से ही उद्भूत हुई हैं।